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Ramesh Kanwal
 
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* जुर्म है इश्क़ तो हां इसका ख़्ाताë *
जुर्म है इश्क़ तो हां इसका ख़्ातावार हूं मैं                         
जुर्रते-दिल1 न पशेमां2 हो कि ख़्íर3 हूं मैं                                  .                                                       
	

कोर्इ तस्वीर नहीं, कोर्इ तसव्वुर भी नहीं                         
दरे - एहसास4 पे  लम्हाते - गिरांबार5 हू  मैं			       	                              


जख्म ही ज़ख़्म मुझे गर्दिशे-दौरां6 ने दिये                              
एक मुíत से मसर्रत7 का तलबगार8 हूं मैं                         .                                                            


दिल के कशकोल9 में जुज़10 अश्के-अलम11 कुछ भी नहीं 
फिर भी दुनिया ये समझती है कि ज़रदार12 हूं मैं               .                                                      


दस्ते-साकी13 से कभी जाम लिया था  बढ़कर                 
जुर्म में इसके शहीदे-रसनो-दार14 हूं मैं                         .                                                               


हूरो-गि़ल्मां15 से न वाकिफ16 न ही अफ़्लाकनशीं17                       
नौ-ए-इन्सां18 की परसितश19 का गुनहगार हूं मैं                .                                                                    


सख्त पहरा है रिवाजों का मसर्रत20 पे 'कंवल                     
रविशे-दहर21 से इस वास्ते बेज़ार22 हूं मैं                       .                                                          



1. दिल का साहस 2. लजिजत 3. स्वाभिमानी 4. चेतना का द्वार 
5. बोझिल पल 6. समय का चक्र 7. हर्ष 8. याचक 9. भिक्षा पात्र 
10. सिवा 11. वेदना का आंसू 12. धनाढय 13. शराब पिलाने वाला हांथ 
14. फांसी पर 15. स्वर्ग की अप्सरायें एवं दासियां 16. परिचित 
17. आसमान, स्वर्ग में निवास करनेवाला 18. मनुष्य जाति 
19. आराधना, पूजा 20. हर्ष 21. जगत की रीति 22. बेपरवाह। 
 
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