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Ramesh Kanwal
 
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* सामने तुम हो, सामने हम है, बीच में शी& *
सामने तुम हो, सामने हम है, बीच में शीशे की दीवार        
रंगे-वफ़ा झलके आंखों में, लेकिन हो कैसे इज़हार                     .                                                       

गूंगा सा मंै, तुम भी चुप चुप, दिल में है तूफ़ान बपा                      
कोर्इ ये ख़्ाामोशी तोड़े, चुप हो जायेगा संसार                           .                                            

दम लेने को छांव़ में उल्फ़त की जब इक पल ठहर गया          
छोड़ चले सब साथी मेरे, उनको जह़र लगा ये प्यार               .                                            

हुस्न की मांग में चांद सितारे रक्सकुनां1 हंै शामो-सहर2                    
लेकिन  मेरा  इश्क़  अभी तक पहने है कांटो का हार          .                                                             

सावन के बादल भी अपना रूप दिखाकर जाते है                            
रक्सकुनां   शोलों  के  संग  मे   झूमती  है  जब  कभी  बयार            

जे़रे-फ़लक3 रह कर भी अपनी आंख लगी थी सू-ए फ़लक4    
आखि़ारकार महो-अख़्तर5 से हम भी पत्थर हो गये यार                   .           

मेरी   जब   बारी   आर्इ   तो  रूठ   गया  मुझसे   अल्लाह                              
आह! 'कंवल ने तो मांगा था तुमसे बस सावन का प्यार              .

1. नृत्यशील 2. सुबह शाम 3. आकाश के नीचे 4. आकाश की ओर 
5. चांद सितारा।
 
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