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* सामने तुम हो, सामने हम है, बीच में शी& *
सामने तुम हो, सामने हम है, बीच में शीशे की दीवार
रंगे-वफ़ा झलके आंखों में, लेकिन हो कैसे इज़हार .
गूंगा सा मंै, तुम भी चुप चुप, दिल में है तूफ़ान बपा
कोर्इ ये ख़्ाामोशी तोड़े, चुप हो जायेगा संसार .
दम लेने को छांव़ में उल्फ़त की जब इक पल ठहर गया
छोड़ चले सब साथी मेरे, उनको जह़र लगा ये प्यार .
हुस्न की मांग में चांद सितारे रक्सकुनां1 हंै शामो-सहर2
लेकिन मेरा इश्क़ अभी तक पहने है कांटो का हार .
सावन के बादल भी अपना रूप दिखाकर जाते है
रक्सकुनां शोलों के संग मे झूमती है जब कभी बयार
जे़रे-फ़लक3 रह कर भी अपनी आंख लगी थी सू-ए फ़लक4
आखि़ारकार महो-अख़्तर5 से हम भी पत्थर हो गये यार .
मेरी जब बारी आर्इ तो रूठ गया मुझसे अल्लाह
आह! 'कंवल ने तो मांगा था तुमसे बस सावन का प्यार .
1. नृत्यशील 2. सुबह शाम 3. आकाश के नीचे 4. आकाश की ओर
5. चांद सितारा।
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