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Aalam Khurshid
 
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* कितनी मुहब्बत से वो नसीहत करता है *

कितनी मुहब्बत से वो नसीहत करता है

जो मुझ से दिन - रात अदावत करता है

बाज़ आया मैं ऐसी शोहरत - वोहरत से

मेरा साया मुझ से रक़ाबत करता है

इश्क़! तुझे महफूज़ रखें अल्लाह मियाँ

सोच - समझ कर अब वो मुहब्बत करता है

शमअ बुझा कर मुझ से हवाएं कहती हैं

तू पागल ! बेकार मशक्कत करता है

मजबूरी में जंगल जाना पड़ता है

कौन खुशी से तर्के-सुकूनत करता है

क़ायद कोई और है मेरे लश्कर का

लेकिन कोई और क़यादत करता है

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