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Aalam Khurshid
 
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* कोई उमीद ही ऐसी किया नहीं करते *

कोई उमीद ही ऐसी किया नहीं करते

बबूल में तो गुलाबां खिला नहीं करते

मुहब्बतों के कई रंग - रूप होते हैं

फ़रेबे-यार से कोई गिला नहीं करते

सफ़र में लोग तो मिलते,बिछड़ते रहते हैं

ज़रा सी बात पर आँखें मला नहीं करते

हकीमे-वक्त ही इनका इलाज करता है

दिलों के ज़ख्म दवा से भरा नहीं करते

ये कारोबारे-मुहब्बत तुम्हें मुबारक हो

अगरचे काम ये अह्ले वफ़ा नहीं करते

किसी की बात उन्हें कब सुनाई देती है

जो अपने दिल की सदा भी सुना नहीं करते

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