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* ठहरता नही जिन्दगी का सफीना, *
ठहरता नही जिन्दगी का सफीना,
यही इस जहाँ का है अक्सर करीना।
है बेताब-ओ-बेचैन रहना ही जीना,
यह हर लहजा करती हैं मौजें इशारे।
1.सफीना - नाव, नौका, कश्ती 2.करीना - दंग, तर्ज 3. मौजें - लहरें
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तुमको पा लेने में वह बेताब कैफियत कहाँ,
जिन्दगी वह है जो तेरी जुस्तजू में कट जाय।
1.बेताब कैफियत - बेकरारी का आलम 2.जुस्तजू - तलाश, खोज
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दीखावे के हैं सब ये दुनिया के मेले,
भरी बज्म में हम रहे हैं अकेले।
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मजहब क्या है, राहें मुख्तलिफ हैं एक मंजिल की,
मंजिल क्या है, जहाँ सब कुछ है मगर राहें नहीं हैं।
1.मुख्तलिफ - पृथक-पृथक, अलग-अलग
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