दोहे * रिश्तों के बाज़ार में ,चाहत का व्यापार , तोल -मोल कर बिक रहे ,इश्क ,मुहब्बत ,प्यार ! * अपनी -अपनी कल्पना ,अपना -अपना ज्ञान ' जिसकी जैसी आस्था ,वैसा है भगवान् ! ****