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Dipti Mishra
 
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* प्यास *
प्यास 

सच है - प्यासी हूँ मैं
बेहद प्यासी !
मगर 
तुमसे किसनें कहा -
कि तुम मेरी प्यास बुझाओ ?

मझसे कही ज़्यादा रीते ,
कहीं ज़्यादा खाली हो तुम !
और तुम्हे अहसास तक नहीं !!

भरना चाहते हो तुम -
अपना खालीपन 
मेरी प्यास बुझानें के नाम पर !!

ताज्जुब है !
मुकम्मल बनाना चाहता है मुझे 
एक -
"आधा-अधूरा इंसान "!!

दीप्ती मिश्र
 
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