ग़ज़ल
इश्क से भी निबाह करके देख,
अपनी दुनिया तबाह करके देख,,
जो तुझे अपने दिल में रखता है,
उसके दिल में भी राह करके देख,,
जो मुहब्बत का दर्स देता हो,
कोई ऐसा गुनाह करके देख,,
अपनी बढ जायेगी तेरी तौकीर,
दूसरों की तू वाह करके देख,,
दिल में कर दे. तरगें जो पैदा,
यूँ किसी पर निगाह कर के देख,,
वो परेशां अगर है, अपनी भी,
जुल्फे-हस्ती सियाह करके देख,,
जान तूझ पर 'सिराज' दे देंगे,
तू गरीबों की चाह कर के देख,,
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